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लेखनी कहानी -01-Aug-2023 वो हमसफ़र था, एपिसोड 43

हंशल अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहता है, आप लोग सोच रहे होंगे कि आखिर कौन है वो, जिसे आज मैं प्रोपोज़ करने वाला हूँ,,, तो फ़िक्र मत कीजिए अभी आप सब को मालूम पड़ जाएगा, ये कह कर हंशल स्टेज से नीचे उतर आता है,,, और धीरे धीरे आगे की और बढ़ता है,, सब लोग उसे ही देख रहे थे,,, अभीर को तो कुछ समझ ही नही आ रहा था उसे ऐसा लग रहा था मानो वो कोई ख्वाब देख रहा था,,, उसे खुद समझ नही आ रहा था कि वो खुश होये या हैरान वो इसी दुविधा में था,,,

आँचल जो की हंशल को उसकी तरफ आता देख मन ही मन खुश हो रही थी,,, पल भर को उसे लगा की शायद हंशल उस के ही पास आ रहा है,,, लेकिन उसको झटका ज़ब लगा ज़ब हंशल उसके पास से निकल कर आगे चला गया और कोने में ख़डी एक लड़की जिसे वो नही जानती थी घुटने के बल बैठ कर उसकी और अंगूठी बढ़ाते हुए कहने लगा " हनिश्का! विल यू मेर्री मी "

सब लोग बस उन दोनों को ही देख रहे थे। अभीर के तो पैरों तले से जमीन ही निकल गयी थी,,, और आँचल को तो यकीन ही नही हो रहा था,,, उसे तो ऐसा लग रहा था मानो वो सपना देख रही है वो भी एक भयानक सपना,,, जिसमे वो चाह रही है कि बस उसकी अब आँख खुल जाए और वो जाग जाए,,, लेकिन कभी कभी हकीकत में भी ऐसा कुछ हो जाता है, जिसकी कल्पना भी नही की होती है,,, तब वो किसी बुरे सपने जैसा ही लगता है और मन करता है कि आँख खुले और वो सपना टूट जाए,,, लेकिन ऐसा कुछ नही होने वाला था

जिस तरह हनिश्का ने उसे गले लगाया उसके प्रपोजल को एक्सेप्ट किया उससे तो यही लग रहा था, कि हनिश्का भी उससे प्यार करती है

अभीर और आँचल दोनों के लिए वो घड़ी किसी मुश्किल घड़ी से कम नही थी,,, ज़ब उन्हें खुद ही समझ नही आ रहा था कि उन्हें क्या करना चाहिए,,,

आखिर कार हंशल,,, दोबारा से अपनी बात कंटिन्यू करते हुए कहता है,,, अब तो आप सब को पता चल ही गया है,,, कि हम दोनों एक दुसरे से कितना प्यार करते है,,, हमें इस दिन का कब से इंतज़ार था और देखो वो दिन आ गया,,, अब हमें कोई अलग नही कर सकता,,, अब हमें किसी का डर नही,,, आज भले ही हमारा कॉलेज ख़त्म हुआ है लेकिन हमारा रिश्ता अब एक नए बंधन में बंध जाएगा,, उसी के साथ और भी बहुत कुछ कहता है

हनिश्का खामोश थी बस मुस्कुरा रही थी, हंशल को प्यार भरी बातें और ढेर सारे वायदे करते देख

हंशल ने ज़ब अपने प्यार का इजहार,, और हनिश्का को प्रोपोज़ कर दिया तब उसकी नजर अभीर पर गयी और वो हनिश्का के साथ उसके सामने आ कर खड़ा हो गया और उसकी तरफ देख कर बोला " अभीर! मेरे भाई मुझे माफ कर देना,,, यही था वो सरप्राइज जो मैं तुम सब को देना चाहता था "

"अच्छा! बहुत अच्छा सरप्राइज दिया तूने मेरे भाई,,, बहुत अच्छा " अभीर ने गुस्से में कहा।

भाई जानता हूँ,,, तू नाराज़ है,,, तुझे दुख हुआ है,,, कि मैंने इतनी बड़ी बात तुझसे छिपायी लेकिन इसके पीछे का एक कारण था,,, हंशल अपनी बात पूरी कर पाता उससे पहले ही अभीर अपना आपा खो बैठा और चीख कर बोला " मत कह मुझे अपना भाई,,, और ना ही अपना दोस्त,,, मैं तो तुझे अपना दोस्त समझ कर अपना हर सुख दुख तुझसे बाट ता था,,, और तू तूने तो मुझे बताना तक जरूरी नही समझा कि तू किसी से प्यार करता है "

"भाई,,, भाई,,, मैं जानता हूँ तू नाराज़ है,,, लेकिन मेरी बात पूरी सुन " हंशल ने कहा उसकी बात पूरी होने से पहले

नाराज़,,, नाराज़ माई फुट,,, अभीर ने कहा और एक खींच कर उसकी गाल पर तमाचा मारा

पूरा कॉलेज उन्हें ही देख रहा था

मार ले,,, भाई,,, जितना मारना है,, मार ले,,, जानता था यही कुछ करेगा तू,,, तेरा यही अंदाज़ है नाराजगी निकालने का,,, मुजसे बेहतर कौन जाने गा, हंशल ने पीछे हटते हुए कहा

अभीर ने उसी के साथ दो तीन लाते घूसे और मार दिए,,, उसके मूंह से खून निकलने लगा था,, जिसे देख हनिश्का घबराने लगी थी

प्यार करेगा,,, तू प्यार करेगा,,, वो भी मुझे बिना बताये,,,, मुझसे छिपाये बिना,,, मैं समझता रहा कि तुम दोनों सिर्फ दोस्त हो लेकिन तुम्हारा रिश्ता तो दोस्ती की भी हद पार कर चुका था,,, मेरे पीठ पीछे तू रंग रलिया मानता रहा,,, और आज इस तरह सबके सामने अपने प्यार का इजहार कर उसे प्रोपोज़ कर समझ रहा है,,, कि तेरे सारे पाप धुल जाएंगे,,, तेरी माफ़ी,, तुझे बचा लेगी,,, नही हरगिज नही,,, अभी तक तूने अभीर का प्यार और उसकी दोस्ती देखी थी लेकिन अब उसका भंगार देखेगा,,, मैं तुझे माफ नही करूँगा,,, तूने मेरे साथ विश्वास घात किया है,, मुझे लगता था,, तू मेरा दोस्त नही भाई है,,, जिसके साथ मैं अपनी हर बात साँझा कर सकता हूँ और तू भी मेरे साथ अपनी हर बात साँझा करता है,,, लेकिन मैं गलत था गलत के साथ बेवक़ूफ़ भी था,,, तूने मुझे बेवक़ूफ़ बनाया,,, मेरे भरोसे को तोड़ा है हंशल तूने मैं तुझे माफ नही करूँगा,,, तेरी ये गलती काबिल - ए - माफ़ी नही है,,, इसकी तुझे सजा मिलेगी और वो सजा ये होगी कि तेरा ये दोस्त तुझसे हमेशा हमेशा के लिए दूर हो जाएगा,,, नही मालूम कि अपने प्यार को सामने ना लाने कि तुम्हारी क्या वजह होगी,,, लेकिन अपने दोस्त को ना बताने की क्या दलील है तेरे पास,,, क्या तुझे मुझ पर भरोसा नही था,, क्या तू मेरा दोस्त नही था,,, तूने आज एक दोस्त का भरोसा तोड़ा है,,, तुझे भगवान भी माफ नही करेंगे, अभीर ने कहा रोते हुए।

हंशल भी रो रहा था,, वो उसके पैरों में गिर गया था,,, उसे रोकने के लिए उससे माफ़ी मांगने के लिए,,, उसने उसे समझाने की कोशिश की,, कि उसने कई बार सोचा कि उसे बता दे,,लेकिन न जाने क्यूँ उसके जुबान से लफ्ज़ ही नही निकले शायद वो डरता था कि कही तेरे जरिये ये बात किसी और तक न पहुंच जाए और उसके प्यार को लोग मज़ाक समझ कर उसे रुसवा न करदे

अभीर अब कुछ भी सुनने को तैयार नही था,, वो वहाँ से चला गया,,, हंशल वही बैठे बैठे रो रहा था और उसे पुकार रहा था लेकिन उसने पलट कर नही देखा,,, अभीर वहाँ से औझल हो गया था,,, वहाँ खडे सारे लोग उसे ही कसूरवार समझ रहे थे सिवाय हनिश्का के,,, उसे ऐसा लग रहा था कि उसने प्यार को बचाने के चककर में दोस्ती का गला घोंट दिया और दोस्त को खुद से हमेशा के लिए दूर कर दिया

उसने एक जोर दार चीख मारी नही,,, नही,,, ऐसा नही हो सकता,,, ऐसा नही हो सकता,,,

तब ही उसे कुछ एहसास हुआ मानो कोई उसे हिला रहा है,,, उसने होश में आकर देखा तो सब लोग वही मौजूद थे,,, और तो और अभीर भी उसके सामने खड़ा था,,, उसने हैरान और परेशान हो कर अपने चारो और देखा,,, पास ख़डी हनिश्का को भी देखा और सामने खडे अभीर को भी और फिर अपने आस पास देखा,,,

पास ख़डी हनिश्का ने कहा " क्या हुआ हंशल? किस सोच में डूब गए थे,,, क्या चिल्ला रहे थे,, "

हनिश्का के पूछे गए सवालों को सुन हंशल को एहसास हुआ कि वो कोई हकीकत नही बल्कि उसका वहम था,,, उसने एक गहरी सास ली और फिर खुद को सँभालते हुए सामने खडे अभीर कि और देखा और कहा " कितना डरावना ख्याल था,,,, अभीर मेरे भाई,,, मैं तुझसे हाथ जोड़ कर माफ़ी मांगता हूँ,,,, मैं बहुत शर्मिंदा भी हूँ कि तुझे इस तरह बताना पड़ा,,, लेकिन मेरे भाई इस सब के पीछे एक कारण था मैं जानता हूँ तू मुझ पर गुस्सा होगा,,, मुझे मारना चाह रहा होगा,, तू मार ले,,, मुझे गाली दे दे,,लेकिन जो कुछ अभी मैंने देखा कि तू मुझसे सारे रिश्ते नाते तोड़ कर जा रहा था,,, भगवान के लिए ऐसा मत करना,,, तेरी नाराजगी को मैं बर्दाश्त नही कर पाउँगा जबकी तू चाहे मुझे जितना दिल चाहे मार ले,,, चाहे तो मार मार कर जान निकाल दे,,, लेकिन भगवान के लिए मुझसे दूर मत जाना,,, तू सुन रहा है ना मेरे भाई "

दूर खड़ा अभिनव जो कि इस पल का बहुत देर से इंतजार कर रहा था,, आखिर कार वो पल आ गया था,,, अभीर का चेहरा बता रहा था कि वो इस वक़्त हंशल को अगर मार भी दे तो शायद उस पर उसका खून माफ कर दिया जाए,,क्यूंकि उसने जो किया है उसके साथ उसकी सजा सिर्फ मौत ही है,,, उसने जो विश्वास घात उसके साथ किया है उसके लिए तो अभीर को उसे बहुत कुछ कहना चाहिए, अभिनव दूर खड़ा बस उस पल के इंतज़ार में था जब अभीर अपना गुस्सा हंशल पर उतारेगा

अभीर जो कि अपने अंदर ही एक जंग लड़ रहा था,,, एक तरफ उसका प्यार किसी और का हो गया था और वो भी कोई और नही बल्कि उसका दोस्त,, एक तरफ प्यार था तो दूसरी तरफ दोस्त और उसका विश्वास घात,, मन तो उसका भी बहुत था कि वो हंशल को मारे इतना मारे की उसके प्राण उसके शरीर से निकल जाए और तो और वो उससे पूछे की आखिर उसकी दोस्ती में क्या कमी रह गयी थी जो उसने उससे इतनी बड़ी बात छिपायी,,, उसे भनक तक लगने नही दी,,, उसके और हनिश्का के बीच जो भी कुछ चल रहा था,,, उसे शिकायत हनिश्का से नही थी,,,कि वो हंशल को पसंद करती है,,, क्यूंकि दिल पर किसका जोर चला है जो उसका चलता,,, उसे तो शिकायत अपने दोस्त से थी,,, जिसने उसे बताया तक नही कि वो हनिश्का से प्यार करता है,,,एक बार भी अगर उसे बता देता कि उसके दिल में हनिश्का को लेकर फीलिंग्स है तो वो कभी भी अपने जज्बातों को इतना आगे नही बढ़ाता जितना की वो बड़ा चुका था,,, उसने तो ना जाने क्या कुछ नही सोच लिया था अपने और हनिश्का को लेकर,,, लेकिन अफ़सोस दोस्त ने ही दगा दे दी अभीर अपने अंदर की व्यथा को अंदर ही रखते हुए और दूर खडे अभिनव के मंसूबो पर पानी फेरते हुए,,, सामने खडे हंशल को गले से लगा लेता है,,, और ना चाहते हुए भी उसकी पीठ थप थपा देता है

उसका ऐसा करना हंशल को भी आश्चर्य में डाल देता है,,, उसे ये तो यकीन था कि अभीर उसकी बात को समझेगा,, लेकिन इस तरह बिना कुछ कहे,, बस उसे गले लगा लेगा,,,ये बात उसे अजीब लगी

और दूर खड़ा अभिनव तो मानो अपनी आंखे मसलता रहा,,, उसे तो लगा की मानो वो कोई ख्वाब देख रहा था,, उसने तो पूरी लंका जलाने का बंदोबस्त कर दिया था लेकिन उस भरत मिलाप को देख तो वो हैरान ही रह गया उसे खुद उसे समझ नही आ रहा था कि ये अभीर ने क्या किया,, कुछ देर पहले तक तो वो हनिश्का को अपने प्यार के बारे में बताने वाला था और अब उसी प्यार को अपने दोस्त के साथ देख उसे बधाईयां दे रहा था,,, नालत है,,, नालत है,,, इन दोनों की दोस्ती पर सोचा था,,, कुछ हंगामा होगा अपना बदला लूँगा लेकिन इस अभीर ने तो पूरा खेल ही पलट दिया,,, नालत हो इन दोनों की दोस्ती पर,,, उसने ख़ुशी ख़ुशी अपना प्यार अपनी दोस्ती पर कुर्बान कर दिया,,, लेकिन मैं भी अभिनव हूँ,,, मेरा नाम भी अभिनव है,,,जानता हूँ इस समय तो अभीर ने खुद को समझा लिया है,, लेकिन आग तो उसके अंदर भी लगी होगी कोई चिंगारी तो उसके अंदर भी जल रही होगी इस चिंगारी को आग नही बनाया और इनकी दोस्ती को उसका ईधन बना कर नही जलाया तो मेरा नाम भी अभिनव नही, अभिनव ने अपने आप से कहा थोड़ा गुस्से से

क्या,,, अभीर ने सच में खुद को समझा लिया,, क्या उसने हंशल को सच में माफ कर दिया,,, क्या उसकी ख़ामोशी सच में ख़ामोशी है या फिर किसी तुफान की आमद जो हंशल और हनिश्का के रिश्ते को उखाड़ देने की ताकत रखता होगा,, जानने के लिए पढ़ते रहिये

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